लेख-निबंध >> औरत का कोई देश नहीं औरत का कोई देश नहींतसलीमा नसरीन
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औरत का कोई देश नहीं होता। देश का अर्थ अगर सुरक्षा है, देश का अर्थ अगर आज़ादी है तो निश्चित रूप से औरत का कोई देश नहीं होता।...
लिंग-निरपेक्ष बांग्ला भाषा की ज़रूरत
बांग्ला भाषा को दरिद्रता मुक्त और वैषम्यमुक्त करके, इसे और ज़्यादा समद्ध करने की जिम्मेदारी जिन लोगों पर है, वे लोग निश्चित रूप से अतिशय विज्ञ, अभिज्ञ, ज्ञानी और गुणी व्यक्ति-समूह हैं। मैं अन्दाज़ा लगा सकती हूँ कि वे लोग अधिकांश ही पुरुष हैं। पुरुष होने भर से पुरुषतान्त्रिक मानसिकता वहन करनी होगी, ऐसा मुझे नहीं लगता। मैं उन लोगों से और आम जनता से लिंग-निरपेक्ष भाषा के उद्भावन और प्रचार शुरू करने का अनुरोध करती हूँ। दुनिया के जिन सभ्य देशों में जहाँ औरत को 'इन्सान' के तौर पर स्वीकृति दी जा रही है, उन देशों में भाषा को भी लिंग-निरपेक्ष किया जा रहा है। इस बंगाल में अगर इस बारे में कोई क़दम नहीं उठाया गया तो यह समझ लेना होगा कि बंगाली औरत, जैसे आदिकाल से आचार-आचरण, क़ानून, परम्परा, धर्म, संस्कृति, भाव-भाषा में, जिस तरह मार खाती रही है, वैसे ही खाती रहेगी। अंग्रेजी भाषा को लिंग-निरपेक्ष बनाने के लिए, जो परिवर्तन हुए हैं या हो रहे हैं, उनके चन्द उदाहरण यहाँ दे रही हूँ-
जो था जो बदला गया बदला जा रहा है।
मैन ह्युमैन बीइंग
मैनकाइंड ह्युमैनकाइंड, ह्यूमैनिटी
मैनस् एचीवमेंट ह्युमैन एचीवमेंट
मैनफुली बैलेंट्ली
मैनपावर वर्क-फोर्स, ह्युमैन इनर्जी, ह्युमैन रिसोर्सेज़
मैन मेड ह्युमैन इन्ड्यूसमेंट
ब्रदरहुड ऑफ मैन ह्युमैन फेलोशिप, ह्युमैन किन्शिप
ब्रदर्ली फ्रेंडली
मैन एण्ड वाइफ हज़बेंड एण्ड वाइफ
बिज़नेसमैन बिज़नेस मैनेजर
कैमरामैन फोटोग्राफर, कैमरा ऑपरेटर, कैमरा क्रू
क्राफ्ट्समैन क्राफ़्टवर्कर, आर्टीज़न
क्राफ्टमैनशिप क्राफ्ट, क्राफ्ट स्किल्स
फेलो कंट्रीमैन कम्पैट्रिएट
फोरमैन सुपरवाइज़र
जेन्टलमैन्स एग्रिमेंट ऑनरेबल एग्रीमेण्ट
लैंडलॉर्ड ऑनर, प्रोप्राइटर
ले मैन ले परसन, नॉन-प्रोफेशनल
अमवुड्समैन मीडियेटर
पुलिसमैन पुलिस, पुलिस अफसर
सेल्समैन सेल्स ऐसिस्टेंट
स्पोक्समैन स्पोक्स पर्सन
स्पोर्ट्समैन ऐथलीट, स्पोर्ट्स वुमैन
वर्कमैन लाइक वेल एक्ज़िक्युटेड
जॉन एण्ड मेरी हैव फुल जॉन एण्ड मेरी हैव फुल
टाइम जॉब्स, ही हेल्प्स हर टाइम जॉब्स, दे
विथ द हाउसवर्क शेयर हाउसवर्क
ट्रांसपोर्ट विल बी प्रोवाइडेड ट्रांसपोर्ट विल बी प्रोवाइडेड फॉर
फॉर डेलीगेट्स एण्ड देयर डेलीगेट्स एण्ड फॉर देयर
वाइव्स स्पाउसेस ऑर परसन्स एकॉम्पैनिंग देम
द डॉक्टर...ही डॉक्टर्स...दे
द नर्स...शी नर्सेज़...दे
वुमैन डॉक्टर, मेल नर्स डॉक्टर, नर्स
मदरिंग पेरेंटिंग, नर्चरी, चाइल्ड रियरिंग
हाउज़वाइफ होममेकर
फोरफादर्स ऐन्सेस्टर्स
फाउंडिंग फादर्स फाउंडर्स
वुमैन ड्राइवर ड्राइवर
गनमैन शूटर
द कॉमन मैन द एवरेज परसन, ऑर्डिनरी पीपुल
बांग्ला भाषा को लिंग-निरपेक्ष (और ज़रूरत हो, तो लिंग-निर्धारण) किया जाये, तो भाषा सभ्य बन जायेगी वर्ना भाषा भी पुरुषतान्त्रिक ही रह जायेगी, जैसी अभी ही है। सबसे पहले शब्दकोश में संशोधन करना होगा।
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- इतनी-सी बात मेरी !
- पुरुष के लिए जो ‘अधिकार’ नारी के लिए ‘दायित्व’
- बंगाली पुरुष
- नारी शरीर
- सुन्दरी
- मैं कान लगाये रहती हूँ
- मेरा गर्व, मैं स्वेच्छाचारी
- बंगाली नारी : कल और आज
- मेरे प्रेमी
- अब दबे-ढँके कुछ भी नहीं...
- असभ्यता
- मंगल कामना
- लम्बे अरसे बाद अच्छा क़ानून
- महाश्वेता, मेधा, ममता : महाजगत की महामानवी
- असम्भव तेज और दृढ़ता
- औरत ग़ुस्सा हों, नाराज़ हों
- एक पुरुष से और एक पुरुष, नारी समस्या का यही है समाधान
- दिमाग में प्रॉब्लम न हो, तो हर औरत नारीवादी हो जाये
- आख़िरकार हार जाना पड़ा
- औरत को नोच-खसोट कर मर्द जताते हैं ‘प्यार’
- सोनार बांग्ला की सेना औरतों के दुर्दिन
- लड़कियाँ लड़का बन जायें... कहीं कोई लड़की न रहे...
- तलाक़ न होने की वजह से ही व्यभिचार...
- औरत अपने अत्याचारी-व्याभिचारी पति को तलाक क्यों नहीं दे देती?
- औरत और कब तक पुरुष जात को गोद-काँख में ले कर अमानुष बनायेगी?
- पुरुष क्या ज़रा भी औरत के प्यार लायक़ है?
- समकामी लोगों की आड़ में छिपा कर प्रगतिशील होना असम्भव
- मेरी माँ-बहनों की पीड़ा में रँगी इक्कीस फ़रवरी
- सनेरा जैसी औरत चाहिए, है कहीं?
- ३६५ दिन में ३६४ दिन पुरुष-दिवस और एक दिन नारी-दिवस
- रोज़मर्रा की छुट-पुट बातें
- औरत = शरीर
- भारतवर्ष में बच रहेंगे सिर्फ़ पुरुष
- कट्टरपन्थियों का कोई क़सूर नहीं
- जनता की सुरक्षा का इन्तज़ाम हो, तभी नारी सुरक्षित रहेगी...
- औरत अपना अपमान कहीं क़बूल न कर ले...
- औरत क़ब बनेगी ख़ुद अपना परिचय?
- दोषी कौन? पुरुष या पुरुष-तन्त्र?
- वधू-निर्यातन क़ानून के प्रयोग में औरत क्यों है दुविधाग्रस्त?
- काश, इसके पीछे राजनीति न होती
- आत्मघाती नारी
- पुरुष की पत्नी या प्रेमिका होने के अलावा औरत की कोई भूमिका नहीं है
- इन्सान अब इन्सान नहीं रहा...
- नाम में बहुत कुछ आता-जाता है
- लिंग-निरपेक्ष बांग्ला भाषा की ज़रूरत
- शांखा-सिन्दूर कथा
- धार्मिक कट्टरवाद रहे और नारी अधिकार भी रहे—यह सम्भव नहीं